यह शिक्षा ही है जो मनुष्य को अन्य की क्षेणी से अलग कर संभावनाओ का शिखर प्रदान जीवन , विधि और प्रकृति के प्रति अन्याय है। यदि हम आप धरती पर हैं, तो उसका कोई हेतु है- प्रयोजन है। अपने होने के प्रयोजन से तादात्मय सम्भवत: जीवन के करीब होना है।... और यह तादात्मय जिस विधि से हासिल हो वही शिक्षा है। महाविद्यालय शिक्षा में गुणात्मक संवर्द्धन की चिन्ता में बहुत से संस्थान आगे आये हैं। स्वयं सेवी संगठनों से लेकर शासकीय स्तर पर इस दिशा में सराहनीय कदम उठाये गये हैं। स्व भगवन्त पटेल पानमती देवी शिक्षा संस्थान ने शिक्षा के क्षेत्र में एक छोटी-सी इच्छा-शक्ति को लेकर इस क्रम में सम्मिलित होने की योजना बनाई है। शैक्षिक संस्थान की जन्मदात्री इस सोसायटी ने स्व भगवन्त पटेल पानमती देवी महाविद्यालय की स्थापना का संकल्प शिक्षा को और तराशने तथा अभिनव स्वरूप प्रदान करने के उद्देश्य से लिया है। अल्प आय वर्ग के छात्र-छात्राओं ग्रामीण पृष्ठभूमि में समपृक्त छात्र-छात्राएँ अपनी ही सीमा में आधुनिकतम सुविधायुक्त उच्च शिक्षा को कोई केन्द्र तथा उनकी ग्रामीण प्रतिभा को समकालीन सभी आधुनिक संदर्भो से जोड़कर नव प्रकाशित किया जा सके। इन्हीं पवित्र उद्देश्यों के परिप्रेक्ष्य में चन्दरपुर बसहिया बुजुर्ग नामक स्थान पर एक महाविद्यालय की स्थापना का संकल्प सामने उभर कर आया है। कला-संवर्ग के पारम्परिक विषयों के अधुनातन अध्ययन को लक्ष्यबध्य कर “कम्प्यूटर '' तथा योग के अतिरिक्त |
शक्ति अंतर की तुम्हारा साथ देगी, लक्ष्य की महिमा तुम्हारा श्रम हरेगी, पथ तुम्हारा साथ देगा वन तुम्हारा साथ देगा, साथ अपना दे सको तो सब तुम्हारा साथ देंगे, आदमी हो? तो उठो, कुछ कर दिखाओं!